Wednesday, June 15, 2016

योग विद्या व वेद

योगी लोग मधुर प्यारी वाणी से योग सीखने वालों को उपदेश करें और अपना सर्वस्व योग ही को जानें तथा अन्य मनुष्य वैसे योगी का सदा आश्रय किया करें।यजुर्वेद।।७।११।।


हे योग की इच्छा करने वाले ! जैसे शमदमादि गुणयुक्त पुरुष योगबल से विद्याबल की उन्नति कर सकता है, वही अविद्या रूपी अंधकार का विध्वंस करने वाली योगविद्या सतजनों को प्राप्त होकर जैसे यथोचित सुख देती है वैसे आपको दे।यजुर्वेद।।७।१२।।

शमदमादिगुणों का आधार योगाभ्यास में तत्पर योगी-जन अपनी योगविद्या के प्रचार से योगविद्या चाहने वालों का आत्मबल बढ़ाता हुआ सब जगह सूर्य के सामान प्रकाशित होता है। यजुर्वेद।।७।१३।।




A Yogi should teach with sweet and polite voice to the observers, students of Yoga and he must think everything to Yoga at all and Other persons should always take the shelter of this type of Yogis.


O Desiree, Observer of Yoga! As a yogi can develop the Learning strength who has the properties of appeasing , pacifying and suppression; on its basis. That Learning of Yoga give the desired pleasure that destroys the darkness of ignorance when it is got by good persons (gentle Men). It may give you too the same.

The Yogi who is intended in Yoga Practice and has the properties of appeasing, pacifying and suppression, having desire to increase the self confidence of the persons who have the desire of Yoga Learning, gets the grace of the Sun everywhere.

Monday, June 6, 2016

सुविचार भाग 5

यजुर्वेद।।5।21।।

मनुष्यों को योग्य है कि इस सब जगत का परमेश्वर ही रचने और धारण करने वाला व्यापक इष्ट देव है ऐसा जान कर सब कामनाओं की सिद्धि करें।

विदुर नीति
इस संसार में ऐश्वर्य चाहने वाले को ये छः दोष त्याग देने चाहिएं  - अधिक नींद लेना, निद्रा, श्रमादि के आलस्य से युक्त रहना, भय, क्रोध, आलस्य और किसी भी काम को करने में देरी करना आदि।  आलसी(Lazy) और सोते रहने वाले का भाग्य भी सो जाता है। आलस्य का त्याग करके जो उद्यम करता है उसे लक्ष्मी प्राप्त होती है।  

 यजुर्वेद।। ५।  १०।।

मनुष्यों को अति उचित है कि जो इस संसार में तीन प्रकार की वाणी होती है अर्थात एक शिक्षा विद्या से सुसंस्कृत, दूसरी सत्य भाषण युक्त व तीसरी मधुर गुण सहित, उनका ग्रहण करें। 

Yajurveda: 5.21
It is in favor of peoples that Desired and Considered Supreme Power God who Creates and Looks After, Cares the World, Known to Him like it, Fulfill All of Your Desires.

Vidur Neethi:


One who desires prosperity in the world, must leave these six faults of life : Taking much rest as sleeping, Having , laziness for Doing hard work, Fear, Anger, and Doing any work too late etc. Fate of a Lazy also sleeps with him. Who works hard leaving laziness, gets the wealth (prosperity) in access.
Yajurveda : 5.10

It is Considerable to Human Being that the Voices of Three Types: Speech full of Science and Education, Speech of Truth Speaking Values and Speech Full of Sweet and Polite Voice; must be accepted in their Daily Life while They Speak to any one whether in Family or in Society.

Wednesday, June 1, 2016

सुविचार भाग ४



पशु के लिए झूंठ बोलने वाला पाँच, गाय के लिए दस, घोड़े के लिए सौ, व मनुष्य के लिए झूंठ बोलने वाला अपनी 100 पीढ़ियों को नरक में धकेलता है।  सोने के लिए झूंठ बोलने वाला भूत व भविष्य की सभी पीढ़ियों को नरक में गिराता है।  
पृथ्वी व स्त्री के लिए झूंठ बोलने वाला अपना सर्वनाश ही कर लेता है अतः आप भूमि अथवा स्त्री के लिए कभी भी झूंठ न बोलें।  
-विदुर नीति 

हे विद्वान मनुष्यों तुम लोग जिस वेद जानने वाले परमेश्वर ने वेद विद्या प्रकाशित की है उसकी उपासना करके उसी वेद विद्या को जानकर और क्रिया काण्ड का अनुष्ठान करके सब का हित संपादन करना चाहिए क्योंकि वेदों के विज्ञानं के बिना तथा उसमे कहे जो काम हैं उनके किये बिना मनुष्यों को कभी सुख नहीं हो सकता वेद विद्या से जो सबका साक्षी ईश्वर देव है उसको सब जगह व्यापक मानकर नित्य धर्म में रहें।
- यजुर्वेद।2।21

जो हवि अच्छी प्रकार से शुद्ध किया हुआ यज्ञ के निमित्त अग्नि में छोड़ा जाता है वह अंतरिक्ष में वायु जल व सूर्य की किरणों के साथ मिलकर इधर उधर फैलकर आकाश में ठहरने वाले सब पदार्थों को दिव्य करके अच्छी प्रकार प्रजा को सुखी करता है।  इससे मनुष्यों को उत्तम सामग्री और उत्तम उत्तम साधनों से उक्त तीन प्रकार के यज्ञ का नित्य अनुष्ठान करना चाहिए।  

- यजुर्वेद।2।22


     One who tell a lie for an animal, puts down Five, for a cow, Ten, for a horse Hundred and for a Man/Woman, One Thousand persons of His/Her dynasty to the Hell.
     A Lie teller puts everything to an end by speaking a lie for Land or A Lady. So never tell a lie about a lady or any land.||Vidur Neethi||


     O Scholars! One, The Master of Vedas Who has spread the light of Vedas on the Earth, By praying him and knowing the Learning of Vedas, and by performing the actions of Vedas, you should perform for the sake of Others because without performing acording to the science and actions that are defined in it, you can not get joy or pleasure ever. By this learning, the spectator of all, Supreme power god, let him consider omnipresent and do not move ever away from the religion, faith, law. ||Yajurveda|2|21||


The material that is purified for the purpose of sacrifice in Alter (Yajyan) and left in the fire, intermixed here and there with air, water and the rays of Sun, it spread in the sky and making divine everything, it make the whole people pleased, joyful. So everyone, with a superb mixture of materials, Saamagri (herbs, almonds, sandal, Chhadeela, Shankhpushpi, Jatamasi or Baalchhad etc) and the best mediums perform the Yajna (sacrifice) everyday. ||Yajurveda|2|22||








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