पाइथागोरस के प्रमेय से ब्रह्म को जानना (शरीर में प्रमाण )
सृष्टि
ब्रह्म जीव माया (प्रकृति)
अज्ञात मन, बुद्धि, आत्मा, प्राण, संस्कार पृथ्वी, वायु, जल, आकाश, प्रकाश
१ २ ३ ४ ५ १ २ ३ ४ ५
पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार समकोण त्रिभुज में कर्ण पर बना वर्ग शेष दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है।
अतः
अतः ब्रह्म शून्य है।
प्रमाण - इस प्रमाण को स्वयं ही प्रयोग करके देखो तो अच्छा है। जब मनुष्य ॐ का उच्चारण करता है तो ॐ शब्द के साथ बाहर की हवा अंदर जाती है। और अंदर वाली वायु का बाहर वाली वायु से मिलान जहां होता है वहीँ पर शून्य है। यहीं क्रिया श्वांस का सञ्चालन करती है।
१२-०६-२००८
श्री गुरु की कृपा से
जगराम सिंह
अध्यक्ष , आर ० आर ० मॉडर्न पब्लिक स्कूल, काजीसोरा
निवासी ग्राम इस्माईलपुर, जनपद बिजनौर, उत्तर प्रदेश
द्वारा
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा
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