Friday, February 24, 2017

मैं तो तेरे पास आ रहा हूँ


ओ३म्



दुनिया से दूर जा रहा हूँ।
और तेरे पास आ रहा हूँ।
मैं ओ प्रभु!

जिस तरहा बिजली तारों में समाई है।
जिस तरहा वायु जगत में भरमाई है।
है,  परन्तु देखी नहीं जाती।
उसी तरहा तेरी हस्ती इस संसार में मैंने पाई है।


चढ़ते सूरज से ज्ञान पा रहा हूँ।
और तेरे गुण गान गा रहा हूँ।
मैं ओ प्रभु!

चाय में चीनी और तपते गोले में अग्नि का अस्तित्व।
देख ह्रदय में मेरे हो चली है तेरी ही यादें मय चित्र और चरित्र ।
कब पूर्ण होगी मेरी साधना  इस बात की है मुझे बहुत तीव्र कामना ।

तुझे मिलने की आस पा रहा हूँ।
तेरे पहलू में ही मैं आ रहा हूँ।
ओ प्रभु!

ह्रदय में हो अंगुष्ठ मात्र आप ऐ स्वामी।
और जगत है सारा तूने अपने भीतर समेटा।
कहाँ कहाँ और है तेरा राज्य व निवास ।

तेरी हस्ती का पार नहीं पा पा रहा हूँ।
मैं तो तेरे पास आ रहा हूँ।
ओ प्रभु!


दुनिया से दूर जा रहा हूँ।
और मैं तेरे पास आ रहा हूँ।
ओ प्रभु!


प्रभु तेरी शरण में

यूट्यूब पर सुनें - मैं तो तेरे पास आ रहा हूँ 


ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा
(स्वरचित)

No comments:

Post a Comment