डूबतों को बचा लेने वाले मेरी नैय्या है तेरे हवाले।
लाख अपनों को मैंने पुकारा सब के सब कर गए हैं किनारा।
और कोई न देता दिखाई सिर्फ़ तेरा ही अब तो सहारा।
कौन तुझ बिन भंवर से निकाले। मेरी नैय्या है तेरे हवाले।
जिस समय तू बचाने पे आवे आग में भी बचा कर दिखावे।
जिस पर तेरी दया दृष्टि होवे कैसे उस पे कहीं आंच आवे।
अँधियों में भी तू ही संभाले। मेरी नैय्या है तेरे हवाले।
पृथ्वी सागर व पर्वत बनाये तूने धरती पे दरिया बहाये।
चाँद सूरज करोंड़ों सितारे फूल आकाश में भी खिलाये।
तेरे सब काम जग से निराले। मेरी नैय्या है तेरे हवाले।
बिन तेरे चैन मिलता नहीं है फूल आशा का खिलता नहीं है।
तेरी मर्ज़ी बिना तो जहाँ में पथिक पत्ता भी हिलता नहीं है।
तेरे बस में अँधेरे उजाले। मेरी नैय्या है तेरे हवाले।
प्रस्तुति
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा
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