ॐ
चन्द्र विज्ञान व सूर्य विज्ञान
भाइयों व बहनों! हम निम्नलिखित रसायन विज्ञान की समीकरण को ज़रा गौर से देखें -
Sun Light, Chlorophyll
6CO2 + 6H2O -------------------> C6H12O6 + 6O2
इस समीकरण के अनुसार ही हरे पौधे कार्बन डाई ऑक्साइड और जल की मदद से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पत्तियों के द्वारा भोजन (ग्लूकोज़ ) का निर्माण करते हैं।
परन्तु सूर्य विज्ञान से सम्बंधित यह बात कि सूर्य की किरणों से पौधों में भोजन का निर्माण होता है और यही भोजन अन्य जीवधारियों के भी काम आता है, ही आज कल ज्ञात एक मात्र मत है जो कि फल, फूल, सब्जियों आदि भोजन बनाने में सहायक माना जाता है।
अर्थात सभी प्राणियों के भोजन का प्रबंध प्रकाश संश्लेषण नाम की इस प्रक्रिया मात्र से ही पौधों व वृक्षों के द्वारा किया जाता है। यह ही एक मात्र ज्ञात तथ्य हमारे सामने आधुनिक वैज्ञानिकों ने प्रस्तुत किया है।
परन्तु आपको जानकर अति हर्ष होगा कि हमारे प्राचीन वैज्ञानिकों व ऋषियों ने चन्द्रमा के प्रकाश से सम्बंधित चंद्र किरणों का विज्ञान भी प्रकट किया है जो कि फल आदि के पकने व उनके निर्माण में अत्यधिक लाभदायक है।
उन्होंने यह तथ्य (नियम) निर्देशित किया है कि सूर्य फलों के रस को खैंचता है, अवशोषित किया करता है। और चन्द्रमा रात्रि में फलों में रस को भरण करता है। इसी रसों के खींचने और भरण करने की प्रक्रिया के द्वारा ही फलों के अंदर पकने (maturity) की प्रक्रिया होती है।
चन्द्रमा की किरणों में शीतलता प्रधान होती है और सूर्य की किरणों में उष्णता। यह ही गुण इन आकाशीय पिण्डों के द्वारा पृथ्वी पर भोजन निर्माण में सहायक होता है।
आपका
अनुभव शर्मा
No comments:
Post a Comment