Thursday, July 14, 2016

Message to Bhartiya Government

भारतीय सरकारों से निवेदन 

यदि श्रीमद भगवद् गीता के अनिवार्य अध्ययन की व्यवस्था तथा फौजियों के परिवार के भरण पोषण, नौकरी आदि की गारन्टी सरकार फौजियों को दे दे।  तो एक फौजी ५०-५० आतंकियों पर भारी पड़ेगा।  यह मेरा निश्चित मत है।

हनुमान जी, पितामह भीष्म, लक्ष्मण, चन्द्रगुप्त, शिवाजी  आदि सभी एक सैनिक भी थे।  युद्ध से पहले तत्त्व ज्ञान (आत्मा, परमात्मा, पुनर्जन्म व कर्म सिद्धांत - ब्रह्मज्ञान) की व्यवस्था की जाये व उन्हें पारिवारिक भविष्य की चिंता से मुक्त कर दिया जाए तो एक सैनिक भी शेर की भाँति होगा।

If the government arranges a compulsory study of Shri Mad Bhagwat Geeta for Soldiers and takes Guarantee  about the Government services and Feeding etc. for his/her Family. He/She will be enough to fight with 50 terrorists at a time. This one is the certain poll of mine.

Hanuman Ji, Pitamaha Bhishma, Lakshaman, Chandragupta, Shivaaji, all were a soldier too. If the Divine knowledge of Soul/ Action/ Rebirth (Brahm Gyan) is arranged for them, and they become satisfied about the future relief of his/her family, they all will perform just like a Lion/Tiger.

Respect Soldiers





आपका अपना 
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा

Tuesday, July 12, 2016

ہمارا بھلا

 .دنیاں میں اسی کی زندگی اونچی ہی جو کسی کا ہو جاتا ہے جو کسی کا نہیں ہوتا وہ دنیاں میں ادھورا بنا بیٹھا رہتا ہے - دیکھو ! جب تک تعلیم کی آگ میں روح نہیں نہایی ، اور اپنی کمیوں کو ختم نہیں کیا تب تک ہماری روح خدا سے موہ پھیرے ہے. اسی طرح ہمیں اپنے کو تعلیم کی آگ میں اپنے کو جلا کر راخ کرنا ہے . جب ہم تعلیم کے اپنے بن جاتے ہیں تو ہمارا وجود فرشتوں کے سامنے آ جاتا ہے - اور اسکے بنا ہم کسی کا بھلا بھی نہ کر پاینگے - بنا دوسروں کے بھلا کرے ہمارا بھلا بھی نہ ہو پاےگا



संसार में उसी का जीवन उच्च है जो किसी का हो जाता है।  जो किसी का नहीं होता वह संसार में अधूरा बना बैठा रहता है।  देखो ! जब तक ज्ञान रूपी अग्नि में आत्मा ने स्नान नहीं किया, अपने दोषों को भस्म नहीं किया तब तक आत्मा परमात्मा से विमुख ही रहता है।  इसी प्रकार हमें अपने को ज्ञान रूपी अग्नि में भस्म करना है।  जब हम ज्ञान के हो जाते हैं तो हमारा स्वरुप देवताओं के समक्ष आ जाएगा। और इसके बिना हम किसी का उपकार भी न कर पाएंगे।  बिना उपकार किये हमारा उपकार कभी भी न हो पाएगा।  


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Saturday, July 2, 2016

जाग रहा है भाग्य हमारा

जाग रहा है भाग्य हमारा जाग रहा है भारत देश।
योग, यज्ञ, उपासना प्रभु की करने लगा है क्योंकि देश।
फिर से धन, ऐश्वर्य और ज्ञान हम पर हुआ मेहरबां है।
धर्म, अर्थ और काम मोक्ष की आस हमें ऐ नादाँ है।


सब कुछ हम पर है, हम सब कुछ हैं।
छूटा अज्ञान, अन्धकार, अशुभ  और क्लेश।

जाग रहा है भाग्य हमारा जाग रहा है भारत देश।


बल अंतर का जाग चुका है बल शरीर में आया है।
आध्यात्मिकता व भौतिकता का मिलन हमें यूँ भाया है।
आज दूर यंत्रों से हों या न हों प्रेम घुमड़ कर छाया है।
कृपा प्रभु से आत्म विभोर हो ह्रदय हमारा गाता है।


जाग रहा है भाग्य हमारा जाग रहा है भारत देश।


आओ सभी इस परम पिता के लिए गीत मिल गायें।
दूर शत्रुता करके फिर से प्रभु शरण हो जाएँ।
बन जाने दो इस देश को फिर से विश्व गुरु ऐ यारों।
हो जाये निष्कंटक जिससे राज्य धर्म वैदिक का।


शंख, चक्र अपनाओ फिर से पद्म, गदा धारो तुम।
ऐ ब्रह्मचारी विष्णु रूप अपने को पहचानो तुम।


जाग रहा है भाग्य हमारा जाग रहा है भारत देश।


(स्वरचित)

इस कविता को अंग्रेजी में पढ़ें 


चित्र : आधुनिक भीम, भारत (डॉक्टर विश्वपाल जयंत, कण्वाश्रम, कोटद्वार)

आपका
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा