Sunday, May 6, 2018

श्री भगवान जी का स्वरुप प्रत्यक्ष मानकर 'वन्दना'

श्री भगवान जी का स्वरुप प्रत्यक्ष मानकर 'वन्दना' 

भगवान तुम्हारे मन्दिर में
मैं अपने मंदिर की बात बताने आया हूँ।

तुम तो हो सारे जग के स्वामी, मैं तो तेरा भिखारी हूँ।
एक जपू , जपू न दूजा, मैं तो तेरा ही पुजारी हूँ।
पूजा पाठ की रीत ना जानूँ , मैं तो शीश झुकाने आया हूँ।

नश्वर तन जो तूने दिया, उसमें पहले अपना निवास ठहराया है।
तीन गुणों की माया से इसको नाच नचाया है।
नश्वर तन के दो हाथों से मैं श्रद्धा सुमन चढाने आया हूँ।

खंड पिंड ब्रह्माण्ड सकल में विधि विधि ज्योति समानी।
थाली गगन दीप रवि, चन्दा जौ लख तारा छिटकानी।
फूटी किरण जगत पर पसरी मैं तो यहीं देखने आया हूँ।

जल की झलक अगम की आभा जग जीव आधारी।
अटल ध्यान धर तेरा धरणी भार अठारह धारी।
ॐ सोऽहं शब्द झकारे अनहत बाजे बाजें।
गावन हारे तेरे द्वारे जग जीव बिराजे, मैं तो यहीं बताने आया हूँ।

चार पदारथ तुम्हारे हाथ आठ सिद्धि नव निधि के दाता।
आवागमन का लगा है ताँता  मैं याचक तू समर्थ दाता।
आवागमन से मुझे छुड़ा दो मैं तो यहीं गौरव मांगने आया हूँ।



संग्रहकर्ता
जगराम सिंह 
अध्यक्ष , आर ० आर ० मॉडर्न पब्लिक स्कूल, काजीसोरा 

निवासी ग्राम इस्माईलपुर, जनपद बिजनौर, उत्तर प्रदेश 


द्वारा 
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा 

Friday, May 4, 2018

ॐ नाम निर्गुण की वाणी

सन्तों आओ जी राह में मिलेंगे बड़े सरकार(ईश्वर)।
ॐ नाम निर्गुण की वाणी शब्द है उसकी पेशानी।
वेद पुराण उसका पता बतावें समझे विरला ब्रह्म ज्ञानी।
समझ समझ कर मुक्ति पाए काल पास के बीच न आये।
वह शमाँ है परवाना मैं हूँ एक अलमस्त दीवाना।
अब मुझको आया होश इसमें ना है कुछ उनका दोष।
मैं लुट गया रे मैं मर गया रे अपने कर्मों की मार।

मेष विश्वम्भर तप व्रतधारी जो जुगत और भोग भुगतारी।
आया मुझ में चल आया  संतोष दया उर धारे काम क्रोध मद लोभ गए।
भ्रम का बहुत भगाया रे, ब्रह्मस्वरूप परम तप धारी डूबे जीव को भवपारी।
ज्ञान अगम का लाया रे उसने मेरे कष्ट निहारे सुनकर मेरी पुकार।
ताल बेल जब घर में लागी बह नैन से नीर पड़े पर मुझे सतगुरु मिल गए।
चली न कोई तदबीर यह कमान गुरु कसके मारी शब्द सुरगगी तीर।
हीरा ले गए ऐसा अद्भुत तीर मेरे गुरु की शब्द निशानी।
शब्द में है रे संसार।
राम रूप से रावण मारा कृष्ण रूप से कंस पछाड़ा।
हिरण्यकश्यपु को बलि बनाया सारा जग दहलाया।
भक्त प्रहलाद की रक्षा हेतु नर सिंह रूप बनाया।
तेरी महिमा अजब निराली तेरी महिमा अपरम्पारी।
गोपियों (वेद की ऋचाएं) संग रास रचाई गीता में उपदेश दिए बन के कृष्ण मुरारी।
तुमतो हो वामन रूप रमिया सारे जग के हो रखिया।
अब इस जगजीव का कर दो बेडा पार।


संग्रहकर्ता
जगराम सिंह 
अध्यक्ष , आर ० आर ० मॉडर्न पब्लिक स्कूल, काजीसोरा 

निवासी ग्राम इस्माईलपुर, जनपद बिजनौर, उत्तर प्रदेश 


द्वारा 
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा 

पाइथागोरस के प्रमेय से ब्रह्म को जानना

पाइथागोरस के प्रमेय से ब्रह्म को जानना (शरीर में प्रमाण )




                                                                  सृष्टि

   ब्रह्म                                                         जीव                                            माया (प्रकृति)
अज्ञात                                    मन, बुद्धि, आत्मा, प्राण, संस्कार           पृथ्वी, वायु, जल, आकाश, प्रकाश
                                                १      २        ३         ४        ५                  १        २       ३        ४          ५


पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार समकोण त्रिभुज में कर्ण पर बना वर्ग शेष दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है।  

अतः  



अतः ब्रह्म शून्य है। 

प्रमाण - इस प्रमाण को स्वयं ही प्रयोग करके देखो तो अच्छा है।  जब मनुष्य ॐ का उच्चारण करता है तो ॐ शब्द के साथ बाहर की हवा अंदर जाती है।  और अंदर वाली वायु का बाहर वाली वायु से मिलान जहां होता है वहीँ पर शून्य है।  यहीं क्रिया श्वांस का सञ्चालन करती है।  



१२-०६-२००८                                                                                      
श्री गुरु की कृपा से 
जगराम सिंह 
अध्यक्ष , आर ० आर ० मॉडर्न पब्लिक स्कूल, काजीसोरा 

निवासी ग्राम इस्माईलपुर, जनपद बिजनौर, उत्तर प्रदेश 



द्वारा 
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा 





Thursday, May 3, 2018

श्रद्धांजलि विधायक श्री लोकेन्द्र जी को

श्रद्धांजलि 

धरती थे अम्बर थे
विनोदी थे समन्दर थे।
जो ग़रीबों के मसीहा थे
वो लोकेन्द्र विधायक थे।
मूरत थे शिवाला थे
अंधेरों में उजाला थे।
जो निडर साहसी नेता थे
वो लोकेन्द्र विधायक थे।
वे एक सच्चे रहबर थे
सब के लिए बराबर थे।
औरों को रोते देखा है
वो देवतुल्य लोकेन्द्र थे।
दिवंगत आत्मा की बात रख लो
प्यार की हर बात उनकी याद रख लो।
हर हाल में ये इलेक्शन जीत कर
दोस्तों इंसानियत की लाज रख लो।
जीवन को अपने कान्ति देदो
दिवंगत आत्मा को शान्ति देदो।
भेड़ियों के झुण्ड का नाश कर
शेर को श्रद्धांजलि देदो।



रचयिता - विश्वपाल सिंह त्यागी, नायक नंगला , 8650209774 


द्वारा
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा