Tuesday, April 10, 2018

कण्टक पथ अपनाना सीखें



कण्टक पथ अपनाना सीखें।
जियें देश के लिए देश हित तिल तिल कर मर जाना सीखें। 

राग रंग की नव तरंग में माँ की याद भुलाते आए।
भूल गए अपने वैभव को यश गौरव का गाते  आए।
अति माना का व्रत अपना कर बून्द बून्द ढल जाना सीखें। 

बढ़े चलें निज ध्येय बिंदु पथ जग का सुख ऐश्वर्य भुला कर।
दूर करें मन का अंधियारा निज जीवन का दीप जला कर। 
अडिग रहे जो झंझा में भी ऐसी ज्योति जगाना सीखें।
 
अपमानों की याद जगाकर सुनें करुण माता का क्रंदन।
कोटि कोटि कंठों से  गूंजे आज पुनः कल अंतर्दर्शन। 
जननी के पावन चरणों में जीवन पुष्प चढ़कर।

No comments:

Post a Comment