Monday, November 20, 2017

राम चंद्र कह गए सिया से, ऐसा कलियुग आयेगा

हे जी रे हे जी रे हे जी रे 

राम चंद्र कह गए सिया से, ऐसा कलियुग आयेगा हंस चुगेगा दाना गुनका कव्वा मोती खायेगा। हे जी रे हे जी रे। 

सिया ने पूछा, "भगवन कलियुग में धर्म करम को कोई नहीं मानेगा?",  तो प्रभु बोले-

धरम भी होगा करम भी होगा, परन्तु शर्म नहीं होगी, बात बात में मात पिता को बेटा आँख दिखायेगा। हे राम चंद्र कह गए सिया से। 

राजा और प्रजा दोनों में होगी निसिदिन खींचा तानी, खींचा तानी, क़दम क़दम पर करेंगे दोनों अपनी अपनी मनमानी, मनमानी, जिस के हाथ में होगी लाठी, भैंस वहीँ ले जायेगा। 
हंस चुगेगा दाना गुनका कव्वा मोती खायेगा। हे राम चंद्र कह गए सिया से। 

सुनो सिया कलजुग में काला धन और काले मन होंगे, काले मन होंगे। चोर उचक्के नगर सेठ, और प्रभु भक्त निर्धन होंगे, निर्धन होंगे।  जो होगा लोभी  और भोगी वो जोगी कहलायेगा। हंस चुगेगा दाना गुनका कव्वा मोती खायेगा। हे राम चंद्र कह गए सिया से। 


मंदिर सूना सूना होगा भरी रहेंगी मधुशाला, मधुशाला।  पिता के संग संग  भरी सभा में नाचेगी घर की बाला, घर की बाला।  कैसा कन्या दान पिता ही कन्या का धन खायेगा। हंस चुगेगा दाना गुनका कव्वा मोती खायेगा। हे राम चंद्र कह गए सिया से। 

हे मूरख की प्रीत बुरी जुए की जीत  बुरी,बुरे संग बैठ चैन भागे ही भागे। काजल की कोठरी में कैसा ही जतन करो काजल का दाग भाई लागे ही लागे, काजल का दाग भाई लागे ही लगे। 

हे कितना जती हो कोई कितना सती हो कोई कामिनी के संग काम जागे ही जागे। हो सुनो कहे गोपीराम जिसका है काम नाम उसका तो फंद गले लागे ही लागे रे भाई उसका तो फंद गले लागे ही लागे। 


प्रस्तुत कर्त्ता -

आपका अपना 
अनुभव शर्मा 

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