Monday, February 19, 2018

ध्यान मार्ग

मेरे दिल की है ये आवाज़ कि मेरा बिछड़ा रूप मिलेगा।
आज नहीं तो कल मेरा सृजनहार मिलेगा।
सृजनहार मेरा बहुरंगी है चाल उसकी सतरंगी है।
इस चाल में बह कर के मुझे उसका दीदार मिलेगा।


अलख नाम एक ओंकारा है विश्व भू रचा जग सारा है।
काया कोट में रम रहा प्यारा शीशमहल में डेरा है।
शीशमहल में स्वामी दर से जहाँ प्रेम अमीरस बरसे।
निस दिन हरि का सुमिरन कीजे कह गए दास अमीरस पीजे।
शीश महल के दस दरवाज़े कौन दरवाज़े से मेरा दिलदार मिलेगा।



तुम्हारा रूप रेख कुछ नाहीं अजपा रूप मन भाया।
ह्रदय कमल में ज्योति तुम्हारी अनहत नाद वेद दरसाया।
ॐ सोऽहं के मध्य में रहते अँधा जगत देख नहीं पाया।
इड़ा पिङ्गला सुषुम्ना श्रुति निरुक्ति से राह लखाया।
सहज शून्य में वास तुम्हारा घट पिंड में ब्रह्माण्ड तुम्हारा।
ॐ सोऽहं के मध्य में तेरा एक नूर मिलेगा।

हृदय आकाश में आप विराजा रची सृष्टि प्रजा और राजा।
अगम अगोचर प्रभु सब ठाई सूक्ष्म नेत्र से देह दिखाई।
क्या पढ़ना क्या गुनना कीजे समझ बूझ ध्यान नित दीजे।
क्या वेद पुरान लखाना शुन्य शिखर पर देओ ध्याना।
ध्यान मार्ग पर चल करके मुझे अपना ही रूप मिलेगा।


श्री जगराम सिंह ग्राम इस्माईलपुर, सेवा निवृत्त कर्मचारी (UPSRT निगम )
फ़ोन - 9457095285 


द्वारा
-ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा

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