Sunday, February 24, 2019

राजपुरुषों के लिए-2

राजपुरुष सभापति (प्रधानमन्त्री) कैसा हो?

परमात्मा कहते हैं कि -

हे मनुष्यों! जो इस मनुष्य के समुदाय में परम ऐश्वर्य का कर्ता शत्रुओं को जीत सके, जो शत्रुओं से पराजित न हो, राजाओं(Leaders) में सर्वोपरि विराजमान, प्रकाशमान हो, सभापति (प्रधानमन्त्री) होने को अत्यंत योग्य, प्रशंसनीय गुण, कर्म, स्वभावयुक्त, सत्करणीय, समीप जाने और शरण लेने योग्य, सब का माननीय होवे उसी को सभापति राजा(Ruler) करें।  अथर्व० ६-१०-१८-१

हे विद्वानों राजप्रजाजनों तुम इस प्रकार के पुरुष को बड़े चक्रवर्ती राज्य, सबसे बड़े होने, बड़े-बड़े विद्वानों से युक्त राज्य पालने और परम ऐश्वर्ययुक्त राज्य और धन के पालन के लिए सम्मति करके सर्वत्र पक्षपात रहित पूर्ण विद्या विनययुक्त, सब के मित्र सभापति राजा को सर्वाधीश मान के सब भूगोल शत्रु रहित करो। यजु० ९-४०

ईश्वर उपदेश करता है हे राजपुरुषों तुम्हारे आग्नेयादि अस्त्र और शतघ्नी(तोप ) भुशुण्डी (बन्दूक ) धनुष बाण करवाल (तलवार) आदि शस्त्र शत्रुओं के पराजय करने और रोकने के लिए प्रशंसित  हों और तुम्हारी सेना प्रशंसनीय होवे कि जिससे तुम सदा विजयी होवे परन्तु जो निन्दित अन्याय रूप काम करता है उसके लिए पूर्व चीज़ें मत होवें अर्थात जब तक मनुष्य धार्मिक रहते हैं तभी तक राज्य बढ़ता रहता है और  दुष्टाचारी होते हैं तब नष्ट भ्रष्ट हो जाता है। ऋग० १-३९-२ 

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