आतंकवाद के खिलाफ एक कविता
सुन लो दहशत गर्दों सुन लो आ गयी तुम्हारी बारी है।
पी ओ के से कश्मीर तलक अब जंग हमारी जारी है।
अभी तो ये आगाज़ हुआ है अभी से क्यों घबराते हो।
वन्दे मातरम के नारों से जब तुम यूँ थर्राते हो।
कैसे करोगे सेना का तुम मुक़ाबला ऐ जान ए जां।
जाने मन तुम दहशत गर्दी पर अब क्यों पछताते हो।
सुखोई और मीराज तलक अब लगे ठिकाने दुश्मन पर।
४५ के बदले ४५० गिराकर उतरे जब वापस अपने अड्डे पर।
मान जाओ ना जनाब ए आली अब चूं चं न करना तुम।
मंगलवार को मंगल-वार सुन अब चुप हो के पड़ना तुम।
जय बजरंग बली। भारत माता की जय। वन्दे मातरम। जय जय भारतीय सेना।
यूट्यूब पर सुनें - आतंकवाद के खिलाफ एक कविता
ब्र० अनुभव शर्मा
सुन लो दहशत गर्दों सुन लो आ गयी तुम्हारी बारी है।
पी ओ के से कश्मीर तलक अब जंग हमारी जारी है।
अभी तो ये आगाज़ हुआ है अभी से क्यों घबराते हो।
वन्दे मातरम के नारों से जब तुम यूँ थर्राते हो।
कैसे करोगे सेना का तुम मुक़ाबला ऐ जान ए जां।
जाने मन तुम दहशत गर्दी पर अब क्यों पछताते हो।
सुखोई और मीराज तलक अब लगे ठिकाने दुश्मन पर।
४५ के बदले ४५० गिराकर उतरे जब वापस अपने अड्डे पर।
मान जाओ ना जनाब ए आली अब चूं चं न करना तुम।
मंगलवार को मंगल-वार सुन अब चुप हो के पड़ना तुम।
जय बजरंग बली। भारत माता की जय। वन्दे मातरम। जय जय भारतीय सेना।
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ब्र० अनुभव शर्मा
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